बाबा बागेश्वर ने प्रवचन में कुत्ते और मधुमक्खी का उदाहरण क्यों दिया?
बाबा बागेश्वर ने प्रवचन में कुत्ते और मधुमक्खी का उदाहरण क्यों दिया?
![]() |
| बाबा बागेस्वर |
'एकता में शक्ति' का संदेश
गोपालगंज (बिहार): बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों बिहार में अपनी हनुमंत कथा के माध्यम से लोगों को एकता का संदेश दे रहे हैं। अपने प्रवचन में उन्होंने हिंदू समाज को संगठित रहने की सलाह दी और इसे राष्ट्र की मजबूती के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि यदि हिंदू एकजुट रहते हैं, तो उन्हें कोई तोड़ नहीं सकता, लेकिन अलग-अलग रहने पर वे कमजोर हो जाएंगे।
धीरेंद्र शास्त्री ने इसे स्पष्ट करने के लिए एक उदाहरण दिया—अगर किसी कुत्ते पर पत्थर फेंका जाए, तो वह भाग जाएगा, लेकिन वही पत्थर यदि मधुमक्खियों के छत्ते पर फेंका जाए, तो हमला करने वालों को खुद बचकर भागना पड़ेगा। उन्होंने इस उपमा के माध्यम से यह समझाया कि संगठित रहना कितना आवश्यक है।
बिहार से जुड़ाव और धमकियों पर जवाब
राजद विधायक चंद्रशेखर द्वारा जेल भेजे जाने की धमकी पर प्रतिक्रिया देते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि उन्हें किसी से डर नहीं लगता। उन्होंने कहा, "हम भारत के हैं, बिहार के हैं और यहां आते रहेंगे।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे किसी राजनीतिक दल का प्रचार नहीं कर रहे, बल्कि केवल सनातन धर्म और हनुमान भक्ति का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।
धीरेंद्र शास्त्री ने अपने समर्थकों से शांति बनाए रखने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि यदि कोई अनुशासनहीनता होगी, तो उनके विरोधियों को सनातन धर्म के खिलाफ बोलने का अवसर मिल जाएगा। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पिछली बार पटना एयरपोर्ट पर उनके आगमन का विरोध हुआ था, लेकिन बिहारवासियों ने एकजुट होकर भारी संख्या में उनकी कथा में भाग लिया था।
कांग्रेस ने लगाए राजनीतिक इस्तेमाल के आरोप
इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने आरोप लगाया कि धार्मिक हस्तियों का इस्तेमाल राजनीति के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चुनावी मौसम में धार्मिक संतों की सक्रियता बढ़ जाती है, जिससे यह संदेह पैदा होता है कि कहीं इन्हें किसी खास मकसद से तो नहीं बुलाया जा रहा।
तारिक अनवर ने कहा, "हमें किसी के कहीं भी जाने से दिक्कत नहीं है, लेकिन यह अजीब है कि ये कथाएं और प्रवचन हमेशा चुनावी माहौल में ही क्यों होते हैं?"
निष्कर्ष
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का प्रवचन हिंदू समाज को संगठित रहने का संदेश देता है, वहीं उनकी बिहार यात्रा को लेकर राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। एक तरफ वे स्वयं को केवल एक धार्मिक विचारक बताते हैं, तो दूसरी ओर विपक्ष उन पर राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किए जाने का आरोप लगा रहा है।

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें