पीएम मोदी और सीएम योगी को गाली देने पर यह प्रोफेसर पर केस

 पीएम मोदी और सीएम योगी को गाली देने पर यह प्रोफेसर पर केस

मोदी और योगी

लीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पर अनुचित भाषा के इस्तेमाल का आरोप, प्रशासन ने की कार्रवाई

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के एक असिस्टेंट प्रोफेसर पर देश के शीर्ष नेताओं के खिलाफ अभद्र भाषा के इस्तेमाल का आरोप लगा है। इस मामले से संबंधित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन और स्थानीय पुलिस ने संज्ञान लेते हुए प्रोफेसर के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी है।

मामला कैसे सामने आया?

सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में, एएमयू के संस्कृत विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अरिमर्दन सिंह पाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुए सुना गया। यह वीडियो सामने आते ही इस पर व्यापक प्रतिक्रिया आई और कई लोगों ने प्रोफेसर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।

इसके बाद, युवा कांग्रेस के प्रदेश सचिव राजा भैया ने 30 जनवरी को प्रोफेसर के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर 31 जनवरी को थाना सिविल लाइंस में प्रोफेसर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया।

प्रोफेसर पर क्या कार्रवाई हुई?

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत कार्रवाई की। विश्वविद्यालय के जनसंपर्क विभाग की प्रभारी प्रोफेसर विभा शर्मा ने बताया कि आरोपी प्रोफेसर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और उन्हें दो दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया है। इस नोटिस की मियाद 1 फरवरी को पूरी होगी, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

फिलहाल, प्रोफेसर को विश्वविद्यालय में पढ़ाने से रोक दिया गया है। वे जांच पूरी होने तक अपने शिक्षण कार्य से निलंबित रहेंगे।

राजनीतिक संबंध और प्रतिक्रिया

अरिमर्दन सिंह पाल समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल के बेटे हैं। इस मामले के सामने आने के बाद राजनीतिक हलकों में भी चर्चाएं तेज हो गई हैं। विभिन्न दलों के नेताओं और संगठनों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

कुछ लोगों ने इसे शिक्षकों द्वारा नैतिक आचरण के उल्लंघन का मामला बताया है और मांग की है कि शिक्षण संस्थानों में अनुशासन बनाए रखने के लिए कठोर कदम उठाए जाएं। वहीं, कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस मामले का राजनीतिकरण भी किया जा सकता है।

पुलिस का बयान

इस मामले पर सीओ तृतीय अभय कुमार पांडेय ने बताया कि थाना सिविल लाइंस क्षेत्र में एक व्यक्ति द्वारा गणमान्य व्यक्तियों के खिलाफ अनुचित भाषा का प्रयोग करने की घटना सामने आई है। पुलिस ने इस मामले में उचित धाराओं के तहत मुकदमा पंजीकृत कर लिया है और जांच जारी है।

क्या हो सकती है आगे की कार्रवाई?

अब सबकी निगाहें प्रोफेसर द्वारा दिए जाने वाले जवाब और विश्वविद्यालय प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं। यदि उनका जवाब संतोषजनक नहीं पाया जाता है, तो उनके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही, पुलिस की जांच के नतीजे भी इस मामले की दिशा तय करेंगे।

यह मामला न केवल एक शैक्षणिक संस्थान के भीतर अनुशासन और आचार संहिता से जुड़ा है, बल्कि सार्वजनिक रूप से अनुचित भाषा के इस्तेमाल के कानूनी पहलुओं को भी उजागर करता है। आने वाले दिनों में इस पर क्या निर्णय लिया जाता है, यह देखने योग्य होगा।

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