भारत को बड़ा झटका: फोर्ब्स ने शक्तिशाली देशों की रैंकिंग में इंडिया को किया टॉप 10 से बाहर, यह मुस्लिम देश शामिल

 भारत को बड़ा झटका: फोर्ब्स ने शक्तिशाली देशों की रैंकिंग में इंडिया को किया टॉप 10 से बाहर, यह मुस्लिम देश शामिल


हाल ही में फोर्ब्स द्वारा जारी की गई दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों की रैंकिंग में भारत को टॉप 10 से बाहर कर दिया गया है। यह खबर भारत के लिए एक बड़ा झटका साबित हो रही है, क्योंकि भारत को पिछले कई वर्षों से इस सूची में मजबूती से स्थान मिला हुआ था। इस नई रैंकिंग में कुछ अन्य देशों ने स्थान प्राप्त किया है, जिनमें मुस्लिम देश भी शामिल हैं। भारत को पीछे छोड़ते हुए यह देशों ने वैश्विक शक्ति के संदर्भ में अपनी स्थिति मजबूत की है। इस बदलाव ने कई सवाल उठाए हैं कि आखिर भारत का स्थान क्यों घटा और इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं।

फोर्ब्स की नई रैंकिंग में बदलाव

फोर्ब्स की नई रिपोर्ट में दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों की रैंकिंग में शीर्ष 10 देशों का चयन किया गया है। इस बार भारत इस सूची में नहीं है, जबकि पहले यह हमेशा टॉप 10 में शामिल था। नई सूची में प्रमुख देश जैसे अमेरिका, चीन, रूस, यूके, फ्रांस, जर्मनी, जापान, सऊदी अरब, दक्षिण कोरिया और संयुक्त अरब अमीरात को जगह मिली है। इनमें से कुछ देश, जैसे सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात, जो पहले शायद इस रैंकिंग में शामिल नहीं होते थे, अब सूची में स्थान बना चुके हैं।

भारत का बाहर होना इस बात का संकेत हो सकता है कि वैश्विक ताकत के पैमानों पर कुछ अन्य देशों ने अधिक प्रभावी तरीके से खुद को स्थापित किया है। यह बदलाव भारतीय नीति निर्माताओं और रणनीतिकारों के लिए एक चुनौतीपूर्ण संकेत हो सकता है कि भारत को अपनी शक्ति को और मजबूत करने के लिए नए प्रयासों की आवश्यकता है।

भारत के बाहर होने के कारण

  1. आर्थिक चुनौतियाँ

भारत की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ दशकों में तेज़ी से बढ़ी है, लेकिन यह अब भी कई विकसित देशों से पीछे है। वैश्विक रैंकिंग में वृद्धि के बावजूद, भारत की प्रति व्यक्ति आय और मानव विकास सूचकांक (HDI) कुछ देशों से बहुत पीछे है। इसके अलावा, हाल के वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी और बेरोजगारी की चुनौतियों से जूझ रही है, जो उसकी वैश्विक स्थिति को प्रभावित कर रहे हैं। वैश्विक बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धा बढ़ने के साथ ही यह आवश्यक है कि भारत अपनी आर्थिक नीति को और मजबूत करे।

  1. सैन्य शक्ति में कमी

भारत सैन्य क्षेत्र में एक शक्तिशाली देश माना जाता है, लेकिन कुछ बड़े देशों के मुकाबले उसकी सैन्य क्षमता में अंतर है। भारत का रक्षा बजट अन्य शक्तिशाली देशों जैसे अमेरिका, चीन और रूस के मुकाबले काफी कम है, और इसे बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके अलावा, स्वदेशी सैन्य तकनीकी विकास और आधुनिक युद्धक शस्त्रों की आपूर्ति में भी सुधार की आवश्यकता है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत की सेनाएँ सैन्य संसाधनों के मामले में अन्य शक्तिशाली देशों से पीछे हैं।

  1. कूटनीतिक स्थिति

भारत ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन वैश्विक मंचों पर उसकी भूमिका और प्रभाव सीमित रहा है। भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता की लंबी ख्वाहिश अभी तक पूरी नहीं हो पाई है, और यह भारत की वैश्विक स्थिति को कमजोर कर सकती है। अन्य देशों के मुकाबले भारत की कूटनीतिक रणनीति और प्रभाव में भी कुछ कमजोरियां हैं। इसके अतिरिक्त, भारत को कुछ क्षेत्रों में प्रभावी और मजबूत कूटनीतिक गठबंधन बनाने की आवश्यकता है।

  1. भू-राजनीतिक चुनौतियाँ

भारत को अपनी बाहरी सुरक्षा के लिए कई अहम चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें सीमा विवाद, आतंकवाद और जियोपॉलिटिकल संकट शामिल हैं। चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद, अफगानिस्तान में अस्थिरता, और दक्षिण एशिया में रणनीतिक स्थिति को लेकर जटिलताएँ भारत की कूटनीतिक रणनीति को प्रभावित करती हैं। यह भू-राजनीतिक संकट भारत के लिए एक बड़ा मुद्दा बन सकता है और उसकी वैश्विक स्थिति पर असर डाल सकता है।

  1. दक्षिण कोरिया और खाड़ी देशों का प्रभाव

इस बार सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे मुस्लिम देशों को टॉप 10 में स्थान मिला है। इन देशों ने पिछले कुछ दशकों में अपनी अर्थव्यवस्था, ऊर्जा संसाधनों और वैश्विक निवेश पर ध्यान केंद्रित किया है। इन देशों ने बुनियादी ढांचे, तेल के उत्पादन और तकनीकी क्षेत्र में सुधार किया है, जिससे वे वैश्विक शक्ति में वृद्धि कर पाए हैं। विशेष रूप से सऊदी अरब का वैश्विक ऊर्जा संकट में महत्वपूर्ण योगदान है, और संयुक्त अरब अमीरात का प्रभावी कूटनीतिक प्रयास वैश्विक स्थिति को मजबूत करने में मदद कर रहा है।

भारत के लिए आगे की राह

इस रैंकिंग में बदलाव को भारत के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा जा सकता है। अगर भारत को फिर से शीर्ष 10 देशों की सूची में जगह बनानी है, तो उसे अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करना होगा, अपनी अर्थव्यवस्था को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना होगा और वैश्विक कूटनीति में एक प्रभावी भूमिका निभानी होगी। इसके अलावा, भारत को अपने सामाजिक सुधारों पर ध्यान देना होगा, ताकि मानव विकास सूचकांक में भी सुधार हो सके।

भारत को अपनी भूमिका को बढ़ाने के लिए एक ठोस रणनीति अपनानी होगी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग, व्यापार और सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी। यह भी जरूरी है कि भारत अपनी घरेलू नीतियों को सुधारने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मामलों में अपनी स्थिति को बेहतर बनाए।

निष्कर्ष

भारत का टॉप 10 से बाहर होना वैश्विक राजनीति और शक्ति के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण संकेत है। यह इस बात को स्पष्ट करता है कि भारत को अपनी क्षमता को और मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि वह वैश्विक मंचों पर अपनी सशक्त स्थिति बनाए रख सके। हालांकि यह बदलाव एक चुनौती हो सकता है, लेकिन यदि भारत सही नीतियों को लागू करता है, तो वह भविष्य में फिर से वैश्विक शक्ति के रूप में अपनी पहचान बना सकता है।

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