संत प्रेमानंद महाराज की गिरिराज परिक्रमा अधूरी, स्वास्थ्य बिगड़ने पर लौटे वृंदावन
संत प्रेमानंद महाराज की गिरिराज परिक्रमा अधूरी, स्वास्थ्य बिगड़ने पर लौटे वृंदावन
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| श्री प्रेमानंद जी महाराज |
गिरिराज पर्वत की महिमा और परिक्रमा की परंपरा
गिरिराज पर्वत, जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन लीला के दौरान उठाया था, भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र स्थल है। हर वर्ष हजारों श्रद्धालु इसकी परिक्रमा करते हैं। 21 किलोमीटर की इस यात्रा में भक्त भजन-कीर्तन और संकीर्तन के साथ गिरिराज जी की महिमा का गुणगान करते हैं।
संत प्रेमानंद महाराज की परिक्रमा यात्रा का शुभारंभ
शनिवार सुबह प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने गिरिराज पर्वत की परिक्रमा की शुरुआत की। उन्होंने पहले गिरिराज जी का अभिषेक किया और पूजा-अर्चना कर सभी भक्तों के कल्याण की कामना की। इस दौरान, हजारों श्रद्धालु उनके साथ यात्रा में शामिल हुए। पूरे मार्ग में "राधे-राधे" के जयकारे गूंजते रहे और भक्त भक्ति-भाव में डूबे नजर आए।
7 किलोमीटर की दूरी के बाद बिगड़ी तबीयत
परिक्रमा के दौरान संत प्रेमानंद महाराज ने लगभग 7 किलोमीटर की दूरी तय की, लेकिन उसके बाद उन्हें थकावट महसूस होने लगी। बताया जा रहा है कि वे पहले से ही किडनी संबंधी समस्याओं और अन्य बीमारियों से जूझ रहे थे। इसके अलावा, वे इस यात्रा के दौरान उपवास भी कर रहे थे, जिससे उनकी कमजोरी और बढ़ गई।
गोविंद कुंड पर विश्राम और वृंदावन वापसी
थकावट बढ़ने पर संत प्रेमानंद महाराज ने आन्यौर गांव के गोविंद कुंड पर विश्राम किया। उनके स्वास्थ्य को देखते हुए शिष्यों ने तत्काल गाड़ी मंगवाई और उन्हें वृंदावन वापस ले जाने का निर्णय लिया।
परिक्रमा के दौरान गिरिराज प्रभु का अभिषेक
इस धार्मिक यात्रा के दौरान संत प्रेमानंद महाराज ने संत गया प्रसाद की समाधि स्थल के पास गिरिराज प्रभु की शिला का गंगाजल से अभिषेक किया और विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की। हालांकि वे पूरी 21 किलोमीटर की परिक्रमा नहीं कर सके, लेकिन उनकी भक्ति और श्रद्धा ने भक्तों को भाव-विभोर कर दिया।
भक्तों में संत के स्वास्थ्य को लेकर चिंता
संत प्रेमानंद महाराज के अस्वस्थ होने की खबर से उनके भक्तों में चिंता की लहर दौड़ गई। सोशल मीडिया पर उनकी यात्रा के फोटो और वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं। भक्त उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना कर रहे हैं।
आध्यात्मिक यात्रा में भक्ति की अनुभूति
हालांकि संत प्रेमानंद महाराज पूरी परिक्रमा नहीं कर सके, लेकिन उनकी भक्ति और श्रद्धा ने उपस्थित भक्तों को प्रेरित किया। पूरे मार्ग में संकीर्तन, भजन और नाम जप के कारण माहौल भक्तिमय बना रहा। इस यात्रा ने श्रद्धालुओं के मन में गिरिराज महाराज के प्रति और अधिक श्रद्धा उत्पन्न कर दी।
वक्त जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से दी गई है जो विभिन्न प्लेटफार्म पर उपलब्ध है

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