हमीरपुर में वक्फ बोर्ड के दावे फेल: 485 सरकारी जमीनों पर किया था कब्जे का दावा

हमीरपुर में वक्फ बोर्ड के दावे फेल: 485 सरकारी जमीनों पर किया था कब्जे का दावा

भूमि सर्वेक्षण करते लोग

हमीरपुर में वक्फ बोर्ड के दावों की पोल खुली, 485 सरकारी जमीनों पर किया था दावा

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की जांच के दौरान बड़ा खुलासा हुआ है। राजस्व विभाग की टीम द्वारा की गई जांच में पाया गया कि वक्फ बोर्ड ने 621 संपत्तियों पर अपना दावा जताया था, लेकिन जब प्रशासनिक स्तर पर इनकी गहन जांच हुई, तो केवल 545 संपत्तियों का ही सत्यापन किया जा सका। इनमें से 485 जमीनें सरकारी निकलीं, जो सरकारी अभिलेखों में वक्फ बोर्ड के नाम दर्ज ही नहीं थीं।

शासन ने हाल ही में पूरे प्रदेश में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की जांच के आदेश दिए थे, जिसके तहत हमीरपुर जिले में भी यह अभियान चलाया गया। इस जांच का मकसद यह पता लगाना था कि वक्फ बोर्ड की वास्तविक संपत्तियां कितनी हैं और उन पर किस प्रकार का उपयोग किया जा रहा है। जब हमीरपुर जिले में वक्फ बोर्ड द्वारा दावा की गई संपत्तियों की जांच की गई, तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

जांच में क्या निकला?

जांच रिपोर्ट के मुताबिक, वक्फ बोर्ड द्वारा दावा की गई 621 संपत्तियों में से 545 का पता लगाया जा सका, जबकि 76 संपत्तियों का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि जिन संपत्तियों का सत्यापन हुआ, उनमें से 485 सरकारी जमीनें थीं। यह जमीनें राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में वक्फ बोर्ड के नाम पर दर्ज नहीं हैं, बल्कि सरकारी संपत्ति के रूप में दर्ज हैं।

इसके अलावा, 55 संपत्तियां निजी स्वामित्व की पाई गईं, यानी वे किसी व्यक्ति या संस्था के नाम दर्ज हैं, और केवल 4 संपत्तियां ऐसी थीं, जो वास्तव में वक्फ बोर्ड के नाम पर दर्ज थीं। इसका मतलब यह हुआ कि वक्फ बोर्ड द्वारा जिन संपत्तियों पर कब्जे का दावा किया जा रहा था, उनमें से 95% से अधिक जमीनें सरकारी या निजी थीं।

कैसे हुआ खुलासा?

शासन के निर्देश पर हमीरपुर जिला प्रशासन ने वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की जांच करने के लिए एक विशेष टीम गठित की थी। इसमें राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारी भी शामिल थे। इस टीम ने जिले के विभिन्न हिस्सों में जाकर संपत्तियों का भौतिक सत्यापन किया और सरकारी अभिलेखों से मिलान किया।

जांच में यह भी पता चला कि जिन संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड ने दावा किया था, उनमें से कई पर मजार, मस्जिद, कब्रिस्तान या दुकानें बनी हुई थीं। इनमें से कई संपत्तियों का व्यावसायिक उपयोग भी किया जा रहा था, यानी दुकानों से किराया वसूल कर आर्थिक लाभ कमाया जा रहा था।

अवैध कब्जे का मामला?

जांच में यह स्पष्ट हुआ कि वक्फ बोर्ड की अधिकांश संपत्तियां सरकारी जमीनों पर बनी हुई थीं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या वक्फ बोर्ड ने इन जमीनों पर अवैध कब्जा कर रखा था? हालांकि, अभी तक प्रशासन ने इसे अवैध कब्जा नहीं कहा है, लेकिन रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि इन संपत्तियों का वक्फ बोर्ड के नाम पर कोई कानूनी दस्तावेज मौजूद नहीं है।

इस मामले में आगे की कार्रवाई के लिए पूरी रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई है। अब यह मामला जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (संयुक्त संसदीय समिति) के सामने रखा जाएगा, जहां इन संपत्तियों के निस्तारण पर फैसला लिया जाएगा।

प्रशासन की कार्रवाई और आगे की प्रक्रिया

हमीरपुर के अल्पसंख्यक अधिकारी हिमांशु अग्रवाल ने बताया कि वक्फ बोर्ड द्वारा दावा की गई संपत्तियों की पूरी जांच कर रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। रिपोर्ट के आधार पर यह तय किया जाएगा कि जिन सरकारी जमीनों पर वक्फ बोर्ड ने दावा किया है, उनका क्या किया जाएगा।

संभावना है कि सरकार इन संपत्तियों का पुनः सरकारी नियंत्रण में लेने के लिए कार्रवाई कर सकती है। अगर किसी संपत्ति पर अवैध कब्जा पाया जाता है, तो उसे हटाने के लिए कानूनी कदम भी उठाए जा सकते हैं।

वक्फ बोर्ड संशोधन बिल का असर?

हाल ही में वक्फ बोर्ड संपत्ति को लेकर नया संशोधन बिल पास किया गया है, जिसके तहत वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की जांच की जा रही है। इस बिल का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का सही तरीके से रिकॉर्ड रखा जाए और उन पर किसी भी प्रकार का अनधिकृत कब्जा न हो।

हमीरपुर में हुई जांच इसी प्रक्रिया का हिस्सा थी और इसकी रिपोर्ट से साफ हो गया है कि वक्फ बोर्ड द्वारा दावा की गई अधिकांश संपत्तियां सरकारी रिकॉर्ड में उनके नाम दर्ज नहीं हैं।

क्या होगा अब?

अब यह मामला पूरी तरह से शासन के हाथ में है। रिपोर्ट को जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के समक्ष रखा जाएगा, जहां इस पर विस्तृत चर्चा होगी। इसके बाद यह तय किया जाएगा कि इन संपत्तियों का निस्तारण कैसे किया जाए।

अगर प्रशासन को लगता है कि वक्फ बोर्ड ने गलत तरीके से सरकारी संपत्तियों पर दावा किया है, तो उन संपत्तियों को सरकारी नियंत्रण में लिया जा सकता है। इसके अलावा, यदि कोई अवैध कब्जा पाया जाता है, तो उसे हटाने के लिए कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।

निष्कर्ष

हमीरपुर जिले में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की जांच ने यह साबित कर दिया है कि बोर्ड द्वारा दावा की गई अधिकांश संपत्तियां वास्तव में सरकारी जमीनें हैं। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि वर्षों से कई संपत्तियों का उपयोग बिना किसी वैध दस्तावेज के किया जा रहा था।

अब इस मामले में शासन द्वारा क्या निर्णय लिया जाता है, यह देखने वाली बात होगी। लेकिन एक बात तय है कि इस जांच से प्रदेश में वक्फ संपत्तियों को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है, और आने वाले समय में अन्य जिलों में भी इसी तरह की जांच की जा सकती है।

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